Tuesday, June 21, 2011

मै बेवफ़ा नहीं।

वह सामने आकर, मुझको लुभा गई
फ़िर धीरे से, मुझमें समा गई
रोज सोचता हूं, छोड दूं उसको
शाम हुई , उसकी याद फ़िर से आ गई

दूर भागा, तो सामने आ गई
मैं पूछता हूं , क्यों छोडती नहीं मुझको
वह "बेजुबां" होकर भी, मुझसे लड गई
क्यूं भागता है, डर कर मुझसे
तू सदा पीते आया है मुझे
क्या आज मै तुझे पी जाऊंगी !

ये माना, तेरे इस "सितमगर" शहर में
हर कदम पर "बेवफ़ा" बसते हैं
डर मत
मै बेवफ़ा नहीं - मै बेवफ़ा नहीं।